कलम
इस उलझन भरी जिंदगी में कभी कोई ऐसा मिल जाता है जो कुछ न कहते हुए बहुत कुछ कह जाता है ऐसा ही वाक्या हुआ था शायद कुछ सालों पहले स्नातक के दूसरे साल में अंतिम पेपर के दिन एक सखी से मिलना हुआ था हुआ यु की हमारा उस दिन औजार बाक्स ही घर छूट गया भूलने की बीमारी तो है बहुत पुरानी ये पता तब चला क्लास में पहुंचे अब क्या करें सोचा यही से कलम उधार मांग लिया जाय हमने माँगा तो देख तो ऐसे रहे थे जैसे हमने उनसे किडनी मांग ली हो फिर एक भाई ने कलेजे पर हाथ रखकर नीला कलम दिया बोला, भाई... लौटा देना.... जी बिलकुल 😊 अब काले की दरकार थी तभी बगल वाली लाइन से वो सखी ने हाथ बढ़ाया और हसते हुए कलम दिया फिर हमने सोचा कि चलो कोई तो मुस्कुराकर दिया वर्ना यहां सब अपने में मस्त हैं परीक्षा खत्म हुई सर कॉपी ले रहे थे तभी खिड़की से दोस्त ने बोला अबे सा## कितना लिखेगा चल जल्दी फिर कलम वाले ने बोला भाई पेन.. देकर हमने फिर हमने इधर-उधर देखा लेकिन वो सखी दिखीं नहीं बाहर आए तो हम ने फिर देखा लेकिन न दिखीं हम ने कहा छोड़ो यार कभी दे देंगे अबे सा##...