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Showing posts from March, 2019

सफ़र

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#ट्रेन कब निकल रही हो बनारस कल.. कल क्यो परसो चलो न साथ में चलेंगे नही पापा ने बोल दिया है कि कल ही चलेंगे क्या यार साथ में चलते तो... ठीक है शाम को बताती हु.. अरे यार पापा नही जा पाएंगे कोई जरूरी काम आ गया है तुम चलो ना कल साथ में तब ठीक है 9 बजे वाली ट्रेन से चलते हैं अरे कहा हो ट्रेन बलिया से चल दी है बस पहुंच रहे हैं प्रणाम अंकल जी.. तुम भी जा रहे हो क्या बेटा.. हाँ तब तो ठीक ही है साथ में चले जाना इसे वाराणसी तक छोड़ देना जी ठीक है ट्रेन आई तो इतनी भीड़ थी कि क्या बताए हम लोगों ने स्लीपर क्लास में ही चढ़ लिए अरे ये तो स्लीपर है तो क्या हुआ है तो है T.T. आएगा तो.. तो... देख लेंगे.. अरे तुम तो त्यार ही नहीं थे अरे क्या बताए कितनी जल्दी जल्दी सब समान पैक किया और आते वक़्त माँ ने ये दो झोला भर कर दे दिया.. और ये रंग अभी नही छुड़ाए हैं क्यो... इसका इंतजार मै काफ़ी अर्से से कर रहा था तुम क्या समझोगी अब जाकर लगे हैं इसे ऐसे थोड़े छूटने देंगे.... ओ... 😍 तुम्हारा भी तो अभी वैसे ही है वो तो ऐसे ही... जैसे जैसे ट्रेन कुछ दूरी तय की हमे सीट मिल गई रास्त...

#मिठाई

माँ आज टिफ़िन में मिठाई देना ना क्यु आज मिठाई खाने का मन है शाम को - इतनी देर क्यु लगा दिया आने में वो.... वो.. भाई - अरे आशु तु उधर क्या कर रहा था माँ - कहा से आ रहा है बेटा.. माँ वो जब कल स्कूल से आ रहा था तो एक लड़का था जो माँ से मिठाई खरीदने को कह रहा था लेकिन माँ उसे नहीं खरीदा रही थी और हमारे तो मिठाई ऎसे ही खराब हो जाती है कोई खाता भी नहीं तो आज मैंने उसे दे दिया... बहुत खुश हुआ माँ 🤨 शाबाश बेटा

#गर्मी

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#फाल्गुन  इस भरी दोपहरीआ कि तेज़ धूप में मै अपनी माँ के साथ ट्रेन से नानी के गाव जा रहा था.. और वही गाना सुन रहा था.. बच्चन साहब वाला "होरी खेले रघुबीरा... अवध में होरी खेले रघुबीरा...." तभी मेरी नज़र सामने बच्चे को लेकर बैठी आंटी जी पर पड़ी.. बच्चा बहुत चीख चीख के रो रहा था... वो जब ज्यादा कष्ट होता है तो नहीं रुक कर रोते हैं बच्चे वैसे ही बेचारा रो रहा था माँ ने पूछा इतना क्यु रो रहा है बेटी... भूखा होगा दुध पिला दो.... नही चुप हो रहा है अम्मा दूध भी पीला रही हु तो प्यासा होगा पानी पिला दो.. सोनू पानी दे दो बेटा...  मैंने पानी दिया लेकिन वो ली नही और अपनी बैग से बॉटल निकाली और पानी पिलाई.. थोड़ा सा पानी पिया लेकिन फिर भी वैसे ही रो रहा था... तब मेरा ध्यान बच्चे के स्वेटर पर पड़ा.. फिर मैंने कहा कि आंटी जी थोड़ा स्वेटर उतार कर देख लीजिए.. शायद गर्मी से ही रो रहा हो... स्वेटर... अच्छा.. स्वेटर उतारते ही थोड़ी ही देर में बच्‍चा मुंडी एठते हुए हवा का आनंद लेके मुझे देखकर मुस्कुराने लगा.. 😊 मानो कह रहा हो थैंक यू भईया.... गर्मी चालू हो गई... 🌞 ...

#माँ

माँ... हाँ... बेटा.. मेरी तौली देखा क्या... हाँ उस कमरे मे है.. जाके लेले.. अरे यहा तो नहीं है कहा है.. माँ तुम भी न... बताओ ना कहा है.. आ रही हु रुक जा चिल्ला मत.. अरे.. यही तो रखा था... ये ये क्या है ये... ये किसका है.. तेरा ही है... इतना गन्दा हो गया था महेक भी रहा था तो फिच दिया.. कैसे रहता है तु वहा.. ऐसे ही.. अरे नहीं माँ.. वहा तो... फिच ही लेता हूँ जब ढेर गन्दा होता है तो.. खैर छोड़.. अब है न एकदम नया.. माँ... तुम भी.. न...

#फ़ौजी

अरे कुछ और चीज की त्यारी काहे नहीं करते हो... नही.. जाउंगा तो सेना में ही जाऊंगा सेना में जाकर क्या कमा लोगे.. नाम.... नाम कमाउँगा... जिस दिन मै शहीद होकर आऊंगा.. न... उस दिन आप भी मुझे सैलुट करेंगे.. पुरा देश सैलुट करेगा.. चुपकर बेहुदे.... अरे... मज़ाक कर रहा हूं बाबु जी... और आज पता चला वो सच बोल रहा था.. उस दिन...

#बुढ़ापा

एक बार ट्रेन से वाराणसी जा रहा था.. मैं ईयरफोन कान में लगा के गाने सुन रहा था बगल में बैठे बूढ़े दादा जी बार बार मुझे देखते और फिर अपनी डायरी देखते.. ये वाकया कई बार हुआ.. मैंने पूछा दादाजी क्या बात है.. बेटा ये मेरी बेटी का नम्बर है थोड़ा एक बार बात करा देते तो...मेरा मोबाइल चार्ज नहीं है.. मैंने कहा ये कौन सी बड़ी बात है दीजिए नंबर.. और उन्होंने बात किया और फिर कहा कितने पैसे हुए... दादा जी फ्री है Jio है न.. और बात करना हो तो कर लीजिए नही बेटा ठीक है.. धन्यवाद.. अरे ठीक है बस आपका अशीर्वाद चाहिए और कुछ नहीं.. ये कौन थी आपकी.. ये.. ये मेरी बेटी है.. वाराणसी में ही है.. बहुत ख्याल रखती है मेरा .. BHU में है अध्यापक.. भूगोल पढ़ाती है.. आपके लड़के नही है.. है न... 4 है एक बैंक में है इलाहाबाद दूसरा डॉ है दिल्ली में तीसरा नेवी में है और 4 नंबर वाले.. वो गाव मे ही रहता है वहीं दूकान चलाता है.. अच्छा... तो उन लोगों के यहां नही जाते घूमने-फिरने.. जाने का तो बहुत मन करता है पोते- पोतियों से मिलने का भी बहुत मन करता है... लेकिन कोई बुलाए तब न... एक साल पहले की बात ...

बच्चा

 आज कुछ ज्यादा ही ठंडी नही लग रही है मैंने तो तुमसे पहले ही बोला था कि शाल लेलो लेकिन तुम मानो तब न.. अच्छा छोड़ो भी हमे ये सब अच्छा नहीं लगता है कि शाल, गमछा लेले देहातियो की तरह... बोल तो ऐसे रही हो जैसे ख़ुद रजवाड़ा खानदान से ताल्लुक रखती हो.. साला पांच - छह गाय भैसे पालने वाले के घर की मोहतरमा ग्यान दे रही है शहर पर 😊 सुनो हमारा घर भले ही गाव हो लेकिन रहते हैं शहरी की तरह... मामूली... हाथ जोड़ती हु 🙏🏻मैं देहाति ही ठीक हु अब खुश हां ये हुई न बात... अच्छा सुनो फ़िल्म कैसी थी.. बच्चन साहब तो लाज़वाब है ही बहुत बढिया.. 👌🏻 एक्टिंग का जवाब नहीं अच्छा इस बार गाव चलेंगें न.. हां.. तीन साल हो गए गाव गए.. माँ भी कई बार कह चुकी है कि इस बार होली में जरूर आना.. कह तो दिए हैं लेकिन ऑफिस के काम से समय निकालना मुश्किल लग रहा है.. अरे वो देखो क्या है.. ये हिल क्यु रहा है... गाड़ी रोको... अरे यार ये तो बच्चा है किसी का किसका हो सकता है लगता है कि छोड़कर भाग गए हैं.. कितने निर्दयी लोग हैं इतनी ठंड में कैसे अपने बच्चे को छोड़ देते हैं हीं..... एक काम करते हैं इसे पुलिस...