#गर्मी

#फाल्गुन 

इस भरी दोपहरीआ कि तेज़ धूप में मै अपनी माँ के साथ ट्रेन से नानी के गाव जा रहा था..
और वही गाना सुन रहा था.. बच्चन साहब वाला "होरी खेले रघुबीरा... अवध में होरी खेले रघुबीरा...."
तभी मेरी नज़र सामने बच्चे को लेकर बैठी आंटी जी पर पड़ी..
बच्चा बहुत चीख चीख के रो रहा था...
वो जब ज्यादा कष्ट होता है तो नहीं रुक कर रोते हैं बच्चे वैसे ही बेचारा रो रहा था
माँ ने पूछा इतना क्यु रो रहा है बेटी...
भूखा होगा दुध पिला दो....
नही चुप हो रहा है अम्मा दूध भी पीला रही हु
तो प्यासा होगा पानी पिला दो..
सोनू पानी दे दो बेटा... 
मैंने पानी दिया लेकिन वो ली नही और अपनी बैग से बॉटल निकाली और पानी पिलाई..
थोड़ा सा पानी पिया लेकिन फिर भी वैसे ही रो रहा था...
तब मेरा ध्यान बच्चे के स्वेटर पर पड़ा..
फिर मैंने कहा कि आंटी जी थोड़ा स्वेटर उतार कर देख लीजिए..
शायद गर्मी से ही रो रहा हो...
स्वेटर... अच्छा..
स्वेटर उतारते ही थोड़ी ही देर में बच्‍चा
मुंडी एठते हुए हवा का आनंद लेके
मुझे देखकर मुस्कुराने लगा.. 😊
मानो कह रहा हो थैंक यू भईया....

गर्मी चालू हो गई... 🌞

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