सफ़र
#ट्रेन
कब निकल रही हो बनारस
कल..
कल क्यो परसो चलो न साथ में चलेंगे
नही पापा ने बोल दिया है कि कल ही चलेंगे
क्या यार साथ में चलते तो...
ठीक है शाम को बताती हु..
अरे यार पापा नही जा पाएंगे कोई जरूरी काम आ गया है तुम चलो ना कल साथ में
तब ठीक है 9 बजे वाली ट्रेन से चलते हैं
अरे कहा हो ट्रेन बलिया से चल दी है
बस पहुंच रहे हैं
प्रणाम अंकल जी..
तुम भी जा रहे हो क्या बेटा..
हाँ
तब तो ठीक ही है साथ में चले जाना इसे वाराणसी तक छोड़ देना
जी ठीक है
ट्रेन आई तो इतनी भीड़ थी कि क्या बताए
हम लोगों ने स्लीपर क्लास में ही चढ़ लिए
अरे ये तो स्लीपर है तो क्या हुआ है तो है
T.T. आएगा तो..
तो... देख लेंगे..
अरे तुम तो त्यार ही नहीं थे अरे क्या बताए कितनी जल्दी जल्दी सब समान पैक किया और आते वक़्त माँ ने ये दो झोला भर कर दे दिया..
और ये रंग अभी नही छुड़ाए हैं क्यो...
इसका इंतजार मै काफ़ी अर्से से कर रहा था तुम क्या समझोगी अब जाकर लगे हैं इसे ऐसे थोड़े छूटने देंगे....
ओ... 😍
तुम्हारा भी तो अभी वैसे ही है
वो तो ऐसे ही...
जैसे जैसे ट्रेन कुछ दूरी तय की हमे सीट मिल गई
रास्ते भर बाते होती रही पता नहीं चला कि कैसे वाराणसी के पास आ गए
तभी किस्मत खराब हुई और T.T. आ गया
अरे यार कुछ पैसा मांगे भी तो दे देना
तुम शान्त रहना कुछ मत बोलना
हाँ टिकट टिकट
है सर लेकिन जनरल का है
जनरल का तो फाइन लगेगा
ये लो 600₹ दो
सर प्लीज छोड़ दीजिए सर प्लीज़
तुम चुप रहो न यार
सर जाने दीजिए स्टाप है
कौन.... तुम हो...
नही सर भईया है RPF में S.I. है प्रयाग स्टेशन में ड्यूटी है
तो बात कराओ
हाँ भईया सारनाथ एक्सप्रेस में स्लीपर में सर जाने नही दे रहे हैं लीजिए बात कीजिए..
हाँ हैलो... जी... जी.... ठीक है ठीक अरे एकदम ठीक है जी ये बताया ही नहीं पहले...
अरे बेटा पहले बोलना चाहिए न...
बोला तो था..
अरे ये बताओ तुम्हारे कौन भईया S. I. हैं
कोई भईया वईया नहीं है
तो....
अरे यार वो कर्नल था वो ऐसे ही किसी से भी बात कर लेता है उसकी आवाज़ थोड़ी बुलंद हैं न उसका फायदा हम सब उठाते हैं 😊
अभी दिल्ली गया था तो आते वक़्त वही हुआ तो बात करा दिया...
अब कौन टिकट लेगा दो ढाई सौ रुपए का...
अभी तुमने टिकट लिया है कि नहीं
नही.. तो...
यार तुम न...... देश की बात करते हो और खुद गलत काम करते हो
मै इसे गलत नहीं मानता...
कभी कभी ट्रेन का लेट होना भी अच्छा होता है
ट्रेन तो वाराणसी के आउटर पर ही घंटा भर रुकी रही और हम लोगों की बात ही नहीं खत्म हो रही थी ट्रेन चली तो एक अलग सी बेचैनी होने लगी कि अब कब मिलेंगे..
चलो अब चलते हैं हां हां मै तुमको छोड़ देता हूं चलो...
चलते वक़्त तो मन कर रहा था कि उसे गले लगा लु लेकिन हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहा था क्या करे क्या करे
तभी वो अचानक से पीछे मुड़ी और मुझे गले लगा लिया मानो मेरी वरसो से मांगी मुराद पूरी हो गई हो
दो-चार सेकंड के लिए ही सही इतने में मानो सब कुछ बदल सा गया हो सब लोग दरवाजे पर हमे ही देख रहे थे
उसकी आँखों में आँसू थे और मैं आंसू न आने का बहाना ढूंढ रहा था
फिर वो उतरी और जाते वक़्त बोली फिर मिलते हैं पहुंच कर फोन कर देना....
हां...
फिर आकर बैठ गया मन बिल्कुल उदास था फिर सोचा कोई गाना सुनते हैं हिन्दी नही भोजपुरी टेंशन फ्री वाला और वही गाना सुनते ही कब नीद लगी और कब इलाहाबाद (प्रयागराज) आ गया पता ही नहीं चला....
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अतिसुंदर कार्य, keep it up...🍻
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
DeleteAwesome
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
DeleteWah Abhayji
ReplyDeleteधन्यवाद
DeleteNYC
ReplyDeleteधन्यवाद
DeleteGood
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