ख़त





प्यारी मीना...
क्या तुम्हें याद वो बचपन और जवानी के दिन...

वो रक्षाबंधन का दिन मुझे आज भी याद जब तुमने राखी बाँध दी और मैंने 5 रुपया दिया था

माँ कितना गुस्सा हुईं थीं राखी उतरवा दिया था
तब कहा पता था माँ के मन तुम कौन हो..

माँ ने तो हमारी शादी बचपन में तय कर दी थी हमसे बिना बताए


हम थोड़ा शुरूवे देह चोर थे इसलिए सब स्कूल का काम तुम्हीं करवा लेते थे

तुम्हारे घर के सामने जो बड़ा सा फिल्ड जैसन मैदान था जहां हमने क्रिकेट ककहरा सीखा और एक राज़ की बात बताए छक्का मारना हमने तुम्हीं को देखकर सीखा.. क्युकी खेलते समय तुम जब देखती थी न तो हमारे अंदर धोनी जाग जाता और इसी जोश में छक्का मार ही लेते और कई बार आउट भी हो जाते...

लेकिन ज्यादा ग़म नहीं रहता क्योंकि मुझे तो विराट & अनुष्का वाली फिलिंग आती थी न...

और उस दिन वो एक 1 रुपय्या वाला मैच  साले लास्ट उतारे और 6 बाल में 3 रन चाहिए था और बदकिस्मती से तो नहीं लेकिन तुम सामने आ गई छक्का मारने के चक्कर में कैच आउट हो गया पुरा वर्ल्ड कप 2015 की फिलिंग आ रही थी

उसके बाद साले दोस्त तो दोस्त छोटे बच्चे तक हमको गरि# रहे थे

दस में आए तो तुम्हारी माँ ने बोला कि बाबु इसको भी कोचिंग लेते जाना.. 😊

उन्होंने तो मुह की बात छिन लिया उसके बाद
हम दोनों उस BSA वाली साइकिल पे कोचिंग जाते और आते समय वो अप्पू वाला फुल्की खाते दही मीठा वाला और तुम वो तीखा छोला कैसे आसानी से खा लेती...


लेकिन एक बात तो मैंने देखा था कि कोचिंग में लड़किया तुमसे बहुत जलती थी पता नहीं क्यों...

तुम मुझसे ज्यादा पढ़ती जब भी हम काम(बहाना से) जाते तो तुम पढ़ती रहती और हम पता नहीं कैसे तुमसे ज्यादा नंबर ला देते और तुम दो दो दिन तक हमसे गुस्सा हो जाती..

अब तुम्हीं बताओ न इसमे हमारी गलती कहा थी
एक बार तुम्हें नकल कराने के चक्कर में पुरा बीचवा का पन्ना ही दे दिए और पकड़े गए थे वो तो नसीब अच्छा था कि गुरूजी तनी हमको मानते थे इसीलिए बच गए

इन्टर में आए तो ई मास्टर साहब (बाबु जी) बहुत जोर दिए की मन से पढ़ो तुम्हें आईआईटी करना है कोटा में अच्छी पढ़ाई होती है वही की तयारी करो 90% नंबर लाओ

हमे कहा तुमको और माँ को छोड़ने का मन था..

इसीलिए तुम दोनों मन रखने के लिए कोटा गए ही नहीं और तुम्हरे साथ BHU आ गए


सच बताएं तो यहां आए तो माहौल बहुत अलग ही था सब लोग कुछ ज्यादा ही एडवांस थे
लेकिन हम लोग कहा बदलने वाले थे
दोस्त मुझसे खुब जलते थे कि तुम इतना आलसी होते भी सब कुछ कैसे मेनटेन कर लेते हो बे

उन्हें कहा पता था कि तुम मेरी धर्म पत्नी बचपन से ही तो थी..

तुम जब मेरे कमरे में आती न तो सच बताए तो मैं बहुत खुश हो जाता और मुझसे ज्यादा खुश तो मेरा कमरा, कपड़े, कापी- किताबें हो जाती

क्युकी तुम बिल्कुल पत्नी की सब मेरा काम और कपड़ा फिच देती..

हम शुरू से कुछ बड़ा (आइएस वोइयस) टाइप करना चाहते थे लेकिन तुम्हारी ये शादी वाली ज़िद और माँ और तुम्हारी माँ बाबु जी की वजह से मास्टर का बेटा मास्टर किसी तरह बन गए...


अब चलते हैं सोने फिर लिखेंगे कुछ तुम्हरे बारे में...

                         *****

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

बच्चा

माँ 💗

कलम