खेल दिवस

खेल दिवस

सन 2000

खेल दिवस का दिन था और कॉलेज पर हॉकी खेल का आयोजन था हम तो सोचे की धीरे से निकल ले

लेकिन खेल देखने के लिए रुक गए

एक खिलाड़ी बीमार था तो सर ने बोला तुम्हीं खेल लो..

खेलने का मन तो था ही नहीं लेकिन
हम तो तुम्हारी वो हल्की सी मुस्कान के लिए ही वो हॉकी का खेल खेले...

सच बता रहे हैं हमने उससे पहले कभी हॉकी नहीं खेला था

जब गेंद हमारे पास आती तो वो हमसे हर बार छूट जाती और कप्तान हमे डांट कम  गालियाँ ज्यादा देता..

फिर पहले इंटरवल तक हम बढ़त लेने से चुक गए..

लेकिन जब तुम और तुम्हारी सखियों ने बोला क्लास की इज़्ज़त की बात है अच्छा खेलना

और वो तुम्हारा जाते हुए बोलना जीतोगे तो मैं तुम्हें कुछ ईनाम दूंगी...

फ़िर क्या मैंने बोला कि कप्तान अब ये खेल पर्सनल हो गया भाई लीड मुझे करने दे...

वो मान गया और तभी मेरे अन्दर का वो संदीप सिंह जाग गया...

और कैसे भी करके मैच 4-4 की बराबरी पर हो गया..

समय था 5 मिनट कप्तान आकर बोला भाई कैसे भी करके जीतना है और भाई तु तो बोल रहा था खेलता ही नहीं है

फिर 2-2 गोल कैसे किया यार..
अब उसे कैसे समझाए कि मैं ये हॉकी नहीं क्रिकेट समझ के खेल रहा था...

फिर आया लास्ट सेशन हमारी टीम ने तो मौका ही नहीं दिया अंत में कप्तान ने गोल किया

हम लोग खुशी से झूम उठे क्युकि उस जीत की खुशी मेरे लिए ओलिम्पिक मे मेडल जितने से कम न थी

हमने कहा कि लाओ मेरा ईनाम..

चलो दे देंगे लेकिन तुम बहुत अच्छा खेले थैंक यु 💓...

हमने अपना वादा पूरा कर दिया लेकिन तुमने न निभाया

आज खेल दिवस था तो सोचा तुम्हें याद दिला दे

शायद तुम्हें याद न हो...



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