Angel
रोज की तरह शाम को माँ के संध्या दीपक जलाने के बाद हम प्लास्टिक के बोरे से धागा निकाल के जलाते थे
हर रोज....
तभी एक सफेद साड़ी पहनी औरत पीछे से पकड़ ली
मैं लाख चिल्लाता रहा माँ एक सुनती और सीढ़ी से उपर चली गई
उस औरत ने कसम दिलाई की आज के बाद फिर न करूंगा..
हम ने वादा आज तक नहीं तोड़ा
और वो जाने कहा चली गई
उसके बाद मैं माँ से लिपट कर खुब रोया अपनी करनी नहीं बताया कुछ दिन बीमार भी रहा
फिर 2 3 साल बाद मुझे याद पड़ा वो वाक्या कि उस दिन वो औरत कौन थी.... 🤔
😲😲😲😲😲😲
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